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नेता और जनता - लेखनी प्रतियोगिता -02-Jun-2022

आजादी के वर्तमान दौर में बदली एक परिभाषा
नेता पैसा दे-देकर जनता का बना रहे तमाशा।

जनता अपनी गरीबी और अभाव से है परेशान
देश के नेता बनना चाहते हैं सदा उनके भगवान।

बेवकूफ समझ जनता का उठाना चाहें फायदा
शक्ति स्वरुप बन जनता उन्हें सिखाए कायदा।

जनता के लिए कार्यरत नेता बनता होता हीरो
जब स्वार्थ में लिप्त हुआ तो कहलाता जीरो।

जनता नादान नहीं बल्कि होती मासूम व भोली
गरीबी से परेशान हो भरना चाहे अपनी झोली।

बड़े-बड़े सिंहासन को भी जो हिला सकती है
अनंत व असीम ताकत जो जनता कहलाती है।

नेताओं के साथ-साथ अब जनता भी हो रही भ्रष्ट
भ्रष्टाचार के इस मकड़जाल से देश हो रहा त्रस्त।

चुनाव के समय थाली में पाकर पुलाव और पनीर
जनता का वोट बहता उस ओर मानो नदी का नीर।

खुद ही बिन सोचे-समझे अयोग्य को जिताती है
बाद में उसके शोषण का शिकार बन पछताती है।

गलत सिर्फ नेता नहीं जनता भी हो जाती है
अहसास होने पर सिंहासन से औंधे मुँह गिराती है।

जिस दिन नेता व जनता दोनों भ्रष्टाचार मुक्त होंगे
तब देश के लिए देखे गए सुनहरे सपने सच होंगे।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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9 Comments

Shnaya

03-Jun-2022 07:11 PM

Nice 👍🏼

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Tariq Azeem Tanha

03-Jun-2022 03:00 PM

शानदार

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Shrishti pandey

03-Jun-2022 02:59 PM

Nice

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